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इंडिया टुडे कॉनक्लेव 2017 के पहले दिन खास मेहमानों में से एक रहे वारिस अहलुवालिया. अमेरिका में एक भारतीय होना और इस पहचान के साथ रहना विषय पर उन्होंने अपने विचार रखे.
2016 में वारिस अहलुवालिया को एक फ्लाइट से उनकी पगड़ी की वजह से उतार दिया गया था जिसके बाद से उन्होंने एक
कैंपेन की शुरुआत की. वहीं, उनके नाम पर 19 अक्टूबर को अमेरिका में वारिस अहलुवालिया डे मनाने की शुरुआत की गई है.
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इंडिया टुडे कॉनक्लेव 2017 में Heart to Heart: Dear America: Notes From an
Immigrant सेशन में बोलते हुए वारिस ने कहा- डर को लेकर हम सभी एक ही नाव पर सवार हैं. नफरत और डर कोई
नई समस्या नहीं है. हम सभी सदियों से इसका सामना करते आ रहे हैं.
बातचीत में वारिस अहलुवालिया ने स्वीकार किया कि न्यू यॉर्क में उनको फिजिकली असॉल्ट किया गया था. हालांकि तमाम
ऐसी घटनाओं की जानकारी के बावजूद वह वहां सेफ महसूस करते हैं.
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9-11 को याद करते हुए वारिस ने बताया कि इस घटना के बाद लोगों में डर था. उनकी तुलना ओसामा वबिन लादेन से भी की गई थी जो वाकई शॉकिंग था. वारिस ने कहा- हालांकि न्यू यॉर्क में बस से बच्चे मुझे देखकर कहते थे- गांधी तो लगता था कि पहचान बरकरार है और सब ठीक है. यह देखकर खुशी होती थी.
अमेरिका के नए राष्ट्रपति को लेकर वारिस अहलुवालिया का कहना है कि इंसानियत देखनी चाहिए और धर्म को पीछे छोड़कर
पहले इंसान बनना चाहिए.
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वहीं अमृतसर में जन्मे वारिस अहलुवालिया ने ये भी कहा कि बराबरी का संदेश देने वाले धर्म का हिस्सा बनकर वह गर्व महसूस करते हैं.